सूत्र :षष्ठीव्यपदेशादपि II6/3
सूत्र संख्या :3
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मेरा यह शरीर है, इस षष्ठीव्यवपदेश से भी आत्मा का देह से भिन्न पदार्थ होना सिद्ध है। यदि देहादिक ही आत्मा होते तो मेरा शरीर है ऐसा कहना नहीं हो सकता। ऐसा कहने से ही प्रतीत होता है, कि ‘मेरा यह’ कोई और वस्तु है, यह शरीर कोई और पदार्थ है, एक नहीं।