DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :पूर्वभावमात्रे न नियमः II1/41
सूत्र संख्या :41

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : यदि कारण को नियत न मानकर पूर्वभावमात्र ही माना जावे तो यह नियम न रहेगा, कि मृत्तिका ही से घट बनता है और वायु से नही बनता, क्योंकि क्षणिकवादि किसी विशेष कारण को भाव से तो मानते नही, किन्तु भाव ही मानेंगे। अतएव उपरोक्त दोष बना रहेगा और निमित्त कारण और उपादान का अन्तर भी मालूम नही होगा और लोक में उपादान कारण और निमित्त कारण का भेद निश्चित है, इसलिए क्षणिकवाद ठीक नही। प्रश्न- जो कुछ संसार में है, सब मिथ्या ही है और संसार में होने से बन्धन भी मिथ्या है, अतएव उसका कारण खोजने की कोई आवश्यकता नही, वह स्वयम् नाशरूप है?

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