सूत्र :युगपज्जायमानयोर्न कार्यकारणभावः II1/38
सूत्र संख्या :38
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो पदार्थ एक साथ उत्पन्न होते है उनमें कार्य-कारण भाव नही हो सकता, क्योंकि ऐसा कोई दृष्टान्त लोक में नही है, जिसके कारण की उत्पत्ति एक साथ ही हो। यदि क्षणिकवादी यह कहें कि मृत्तिका और घट त्रम से है, पहले मृत्तिका कारण फिर घट कार्य उत्पन्न हों गया तो इसमें भी दोष है।