सूत्र :पूर्वापाय उत्तरा-योगात् II1/39
सूत्र संख्या :39
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : इस पक्ष में यह दोष होगा कि पूर्व क्षण में मृत्तिका उत्पन्न हुई, दूसरे क्षण में नष्ट हुई, तब पीछे उसमें कार्यरूप घट क्यों कर उत्पन्न हो सकता है? इसलिए जब तक उपादान कारण न माना जाय तब तक कार्य की उत्पत्ति नही हो सकती अतएव कार्य कारण भाव क्षणिकवादियों के मत से सिद्ध नही हो सकता।