DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :नास्ति हि तत्र स्थिर एकात्मा यो गर्भाधानादिना संस्क्रियेत II1/33
सूत्र संख्या :33

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : तुम्हारे मत मे तो स्थित जीवात्मा ही जिसका गर्भाधानादि से संस्कार किया जावे, अतएव तुम्हारे पुत्र-कर्म वाला दृष्टान्त ठीक नही। यह दृष्टान्त एक स्थिर आत्मा मानने वालों के मन में तो कुछ घट भी सकता है। प्रश्न- बन्धन भी (क्षणिक) एक क्षण रहने वाला है इसलिए उसका कारण अर्थात् नियम नही, या अभाव ही कारण है अथवा वह बिना कारण ही है?

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