सूत्र :स्थिरकार्यासिद्धेः क्षणिकत्वम् II1/34
सूत्र संख्या :34
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि तुम बन्धन को (क्षणिक) एक क्षण रहने वाला मानो तो उसमें दीप शिखा अर्थात् दीपज्योति के समान दोनों का कोई स्थिर कार्य उत्पन्न नही होगा। इससे अगले सूत्र में स्पष्ट करते है कि कार्य को क्षणिक माने में क्या दोष होगा।