सूत्र :पुत्रकर्मवदिति चेत् II1/32
सूत्र संख्या :32
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस प्रकार उसी काल में तो गर्भाधान किया जाता है और उसी समय उसका संस्कार किया जाता है, अतएव एक काल में उत्पन्न होने वाले पदार्थों में पूर्व कथित सम्बन्ध हो सकता है।