सूत्र :आवृत्तिरसकृदुप-देशात् II4/3
सूत्र संख्या :3
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि एक बार के उपदेश् से विवेक प्राप्ति न हों तो फिर उपदेश करना चाहिए, क्योंकि छान्दोग्य उपनिषद् में लिखा है कि श्वेतकेतु के वास्ते आरूणि आदि मुनियों ने वारम्बार उपदेश किया था।