सूत्र :पितापुत्रवदुभयोर्दृष्टत्वात् II4/4
सूत्र संख्या :4
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : विवेक के द्वारा प्रकृति और पुरूष दोनों ही दीखते हैं। दृष्टांत- कोई मनुष्य अपनी गर्भिणी स्त्री को छोड़कर परदेश गया था, ज बवह आया देखता क्या है कि पुत्र उत्पन्न होकर पूरा युवा हो गया लेकिन न तो वह पुत्र जानता है कि यही मेरा पिता है और न वह पुरूष जानता है कि यही मेरा पुत्र है, तब उस स्त्री ने दोनों को प्रबोध (ज्ञान) कराया कि वह तेरा पिता है, तू इसका पुत्र है। इसी तरह विवेक भी प्रकृति और पुरूष का जानने वाला है।