सूत्र :उपदेश्योपदेष्टृत्वात्तत्सिद्धिः II3/79
सूत्र संख्या :79
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जब शिष्य बनकर गुरू के मुख से शास्त्रों को पढ़ेगा और विचार करने से विवेक की उत्पत्ति हो जावेगी, तो जीवन मुक्त होना कुछ कठिन बात नहीं हो सकती। इसी विषय को श्रुति भी प्रतिपादन करती है
‘‘तद्धिज्ञानार्थ स गुरूमेवाभिगच्छेत् समित्पणिः श्रेत्रियं ब्रह्यनिष्ठम। तस्मै स विद्वानुपासन्नाय सम्यक् प्रशान्तचत्ताय शमान्विताय येनाक्षरं पुरूषं वेद सत्यं प्रोवाचतान्तत्त्वतो ब्रह्यविद्याम्।’’