सूत्र :नाविद्यातोऽप्यवस्तुना बन्धायोगात् II1/20
सूत्र संख्या :20
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अविद्या से, जो कोई पदार्थ ही नही, बन्धन का होना सम्भव नही, क्योकि आकाश के फूल की सुगन्ध किसी को भी नही आती। यदि मायावादी जो अविद्या, उपाधि से जीव का बन्धन मानते है अविद्या को वस्तु अर्थात् द्रव्य मानते है तो उनका सिद्धान्त उड़ जायेगा जैसा कि लिखा हैः