सूत्र :अनयितत्वेऽपि नायौक्तिकस्य संग्रहोऽन्यथा बालोन्म-त्तादिसमत्वम् II1/26
सूत्र संख्या :26
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : आप पदार्थों की संख्या का नियत मानें चाहें न माने, परन्तु सत्-असत् से पृथक् कोई पदार्थ बिना युक्ति के माननीय नही हो सकते। नही तो बालक और उन्मत्त का कहना भी ठीक हो सकता है। जिस प्रकार बालक और उन्मत्त का कहना युक्ति शून्य होने से प्रामाणिक नही, इसी प्रकार तुम्हारा कहना भी असंगत है।
प्रश्न- तो क्या जीव अनादि वासना से बन्धन में पड़ा है?