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दर्शन शास्त्र :
सांख्य दर्शन
Language
HINDI
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सूत्र :
असङ्गोऽयं पुरुष इति II1/15
सूत्र संख्या :
15
व्याख्याकार :
स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ :
यह जीव सर्वथा असंग है, इसका बाल्य, वृद्ध और युवावस्था से किंचित् सम्बन्ध नही। प्रश्न- तो क्या दुःख अर्थात् बन्धन के उत्पन्न होने का हेतु कर्म है?
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