सूत्र :वस्तुत्वे सिद्धान्तहानिः II1/21
सूत्र संख्या :21
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि अविद्या को वस्तु मान लिया जावे तो उनके एक अद्वैत ब्रह्य के सिद्धान्त का खण्डन हो जायेगा क्योंकि एक वस्तु जो ब्रह्य है दूसरी अविद्या हो गई, इसलिए अद्वैत न रहा।
प्रश्न- इसमें क्या दोष है?