सूत्र :न नित्यशुद्धबुद्धमुक्तस्वभावस्य तद्योगस्तद्योगादृते II1/19
सूत्र संख्या :19
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो ईश्वर नित्य, षुद्ध, बुद्ध, मुक्तस्वभाव है, उसका तो प्रकृति के साथ सदैव सम्बन्ध है इसलिए वह जीव-रूप होकर दुःख नही पा सकता, क्योकि उसके गुण एक रस है, इस कारण ब्रह्य को उपाधिकृत बन्धन नही वरन् जीव अल्पज्ञ नित्य पदार्थ है उसी का प्रकृति के साथ योग होता है और वह मिथ्या ज्ञान के कारण बद्ध हो जाता है, जैसा कि आगे कथन होगा।