सूत्र :न वयं षट्पदार्थवादिनो वैशेषिकादिवत् II1/25
सूत्र संख्या :25
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : हम षट् पदार्थों को वैशेषिक के सदृष नही मानते और न्याय के समान सोलह भी मानते है। इस कारण हमारे मत में सत्-असत् से अविद्या बिलक्षण होना ठीक है और वही बन्ध का हेतु है।