सूत्र :विरक्तस्य तत्सिद्धेः II2/2
सूत्र संख्या :2
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : एक बार की सृष्टि से मोक्ष नहीं होता, किन्तु बहुत से जन्म, मरण, व्याधि आदि नाना प्रकार के दुःखों से उत्यन्त तप्त (दुःखित) होने पर जब प्रकृति पुरूष का ज्ञान पैदा होता है तब वैराग्य द्वारा मोक्ष होता है और वह वैराग्य एक बार की सृष्टि से आज तक किसी को उत्पन्न नहीं हुआ। इसमें सूत्र प्रमाण है-