सूत्र :चेतनोद्देशा-न्नियमः कण्टकमोक्षवत् II2/7
सूत्र संख्या :7
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : विवेकी पुरूष के लिए प्रकृति का यह नियम है कि प्रकृति विवेकी पुरूष के द्वारा अपना मोक्ष करे जैसे- ज्ञानवान पुरूष बड़ी बुद्धिमानी के साथ कांटे से कांटे को निकालता है, उसका ही सहारा और अज्ञानी मनुष्य भी लेते है, इस तरह से प्रकृति को भी जानना चाहिए।
प्रश्न- पुरूष में कारणत्व का होना गिनने ही मात्र कहा है सो ठीक नहीं है, क्योंकि प्रकृति के मेल से पुरूष भी महदादिकों के परिणाम को धारण कर लेता है, जैसे-काठ जमीन के ही समान हो जात्री है, उसी तरह पुरूष को भी होना चाहिए?