सूत्र :शक्तस्य शक्यकरणात् II1/117
सूत्र संख्या :117
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कार्य में कारण का शक्तिमत्त्व होना ही उपादान कारण होता है, क्योंकि जिस द्रव्य में जो कार्यशक्ति वर्तमान ही नहीं है, उससे अभिलषित कार्य कदापि नहीं हो सकता, जैसे कि कृष्ण रंग से श्वेत रंग कदापि नहीं हो सकता। अब इससे यथार्थ सिद्ध हो गया कि जैसे कृष्ण रंग से श्वेत रंग उत्पन्न नहीं हो सकता, इसी प्रकार असत् से सत् भी उत्पन्न नहीं हो सकता।