सूत्र :सिद्धान्तम-भ्युपेत्यानियमात्कथाप्रसङ्गोऽपसिद्धान्तः II5/2/24
सूत्र संख्या :24
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : किसी सिद्धान्त को मान कर या किसी पक्ष को स्थापन करके फिर उसके विरूद्ध कहना या उस पक्ष का खण्डन करना अपसिद्धान्त नामक निग्रहस्थान कहलाता है। जैसे इस सिद्धान्त को मान कर कि सत् का अभाव और असत् का भाव नहीं होता, कोई यह कहने लगे कि जो पहले नहीं था, वह हो गया और जो हैं वह न रहेगा या कारण के बिना कार्य हो जाता है। तो वह अपसिद्धान्तरूप् निग्रहस्थान में पड़ जाता है।
अब हेत्वाभासों को कहते हैं:-