सूत्र :अनवस्था-यित्वे च वर्णोपलब्धिवत्तद्विकारोपपत्तिः II2/2/54
सूत्र संख्या :54
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : वर्णों के अनवस्थान (न रहने) की दशा में भी उनका प्रत्यक्ष होना स्वीकार किया जाता है, इसी प्रकार उनके विकारों का भी प्रत्यक्ष हो सकना हैं, अब विकार हेतुओं का खण्डन करते हैं:-