सूत्र :ते विभक्त्यन्ताः पदम् II2/2/60
सूत्र संख्या :60
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जब इन वर्णों के अन्त में विभक्ति लगाई जाती हैं, तब इनकी पदसंज्ञा हो जाती है।
प्रश्न - विभक्ति कितने प्रकार की हैं।
व्याख्या :
उत्तर -दो प्रकार की (1) वे जो नाम = संज्ञा के साथ लगती हैं (2) वे जो आख्यात = क्रिया के साथ लगती हैं। जैसे “देवदत्त पकाता है“ यहां “देवदत्त“ संज्ञाहै और “पकाता“यह क्रिया है। पद से अर्थ का ज्ञान होता है इसलिए अब अर्थ का वर्णन करते हैं:-