सूत्र :नियमानियमविरोधादनियमे नियमाच्चाप्र-तिषेधः II2/2/58
सूत्र संख्या :58
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : . नियम और अनियम दोनों एक-दूसरे के विरोधी हैं, यह कभी एक साथ नहीं रह सकते। इसलिए अनियम में नियम कहना बिल्कुल असडंगत हैं, अतएव वर्ण विकार मानना ठीक नहीं। अब यदि वर्णों में विकार नहीं होता तो उनमें जो परिवर्तन होते हैं, उनको क्या माना जावे ? इस पर आचार्य अपना मत प्रकाश करते हैं:-