सूत्र :अनुवादोपपत्तेश्च II2/1/59
सूत्र संख्या :59
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जहाँ किसी प्रयोजन से एक बात दो बार कही ताये, वहां पुनरूक्ति दोष नहीं होता, किन्तु वह अनुवाद कहलाता है। अनुवाद किसी प्रयोजन से किया जाता है, इसलिए वह दोष नहीं। वेदों में जहां किसी मन्त्र या उसके किसी पद को दो बार या कई बार उच्चारण किया गया है, साधारण लोगों को चाहे उसमें पुनरूक्ति का भ्रम हो किन्तु सप्रयोजन होने से अर्थज्ञ लोगों की दृष्टि में वह अनुवाद है। अनुवाद के प्रमाण होने में दूसरा हेतु देते हैं।