सूत्र :अभ्युपेत्य कालभेदे दोषवचनात् II2/1/58
सूत्र संख्या :58
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो दृष्टांत व्याघात दोष के लिए दिया गया है, वह भी ठीक नहीं, क्योंकि वहां काल का भेद है। अग्निहोत्र के दो काल हैं प्रातः काल का अग्निहोत्र सूर्योदय से पहले किया जाता है और सायंकाल का अग्निहोत्र सूर्यास्त से पहले होना चाहिए। यदि एक काल के विषय में दो भिन्न-भिन्न सम्पति हों तो अर्थात् कहीं प्रातःकाल का अग्निहोत्र सूर्योदय से पहले बतलाया गया होना और कहीं पश्चात् तो व्याघात (परस्पर विरोध) हो सकता था किन्तु दो भिन्न-भिन्न कालों के विषय में दो सम्पतियों का होना व्याघात नहीं हैअब पुनरूक्ति का परिहार करते हैं।