सूत्र :ततः क्लेशकर्मनिवृत्तिः ॥॥3/30
सूत्र संख्या :30
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद० - तत:। क्केशकर्मनिवृत्ति:।
पदा० - (तत:) धर्ममेघ समाधि से (क्केशकर्मनिवृत्ति:) वासना सहित अविद्यादि क्केश तथा पुण्य पाप रूप कर्म निवृत्त होजाते हैं।।
सं० - अब पूर्वोक्त समाधि सम्पन्न जीवनमुक्त के चित्त की विलक्षण्ता निरूपण करते है:-