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दर्शन शास्त्र :
सांख्य दर्शन
Language
HINDI
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सूत्र :
चिदवसाना भुक्तिस्तत्कर्मार्जितत्वात् II6/55
सूत्र संख्या :
55
व्याख्याकार :
स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ :
जिसका अन्त जीव में हो उसको भोग कहते हैं, वे भोग जीव के कर्मों से होते हैं, इस कारण भोगों का अन्त जीव में मानना चाहिए।
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