सूत्र :चन्द्रादिलोकेऽप्यावृत्ति-र्निमित्तसद्भावात् II6/56
सूत्र संख्या :56
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : चन्द्रलोक के जीवों में भी आवृत्ति दीखती है, क्योंकि जिस निमित्त से मुक्ति और बन्ध होते हैं वह वहां के जीवों में भी बराबर ही दीखते हैं भाव यह है कि चन्द्रादि लोकों के रहने वाले जीव भी एक बार मुक्त होकर फिर कभी बन्धन में नहीं पड़ते हैं, ऐसा कोई नियम नहीं है, किंतु वहां के भी मुक्त जीव लौट आते हैं, क्योकि वह चन्द्रादिक लोक भी भू-लोकों के समान ही हैं।