सूत्र :पारम्पर्येण तत्सिद्धौ विमुक्तिश्रुतिः II6/58
सूत्र संख्या :58
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो जन्मान्तरों से मुक्ति के वास्ते यत्न करते चले आते हैं वे लोग केवल श्रवणमात्र ही से मुक्ति को प्राप्त हो जाते हैं, यह श्रुति भी सार्थक हो जाएगी।