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सांख्य दर्शन-COLLECTION OF KNOWLEDGE
DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :न शिलापुत्रवद्धर्मिग्राहकमानबाधात् II6/4
सूत्र संख्या :4

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : शिला के पुत्र का शरीर है, इस प्रकार यदि षष्ठी का अर्थ किया जाये तो भी ठीक नहीं हो सकता, क्योंकि धर्मिग्राहक अनुमानं से बाध की प्राप्ति आती है। (भाव इसका यह है कि) यदि ऐसा कहा जाय कि पत्थर का पुत्र अर्थात् जो पत्थर है वही पत्थर का पुत्र है, इसमें कोई भी दीखता। इसी प्रकार जो आत्मा है वही शरींर है, ऐसा यदि षष्ठी का अर्थ किया जावे तो भी ठीक नहीं हो सकता, क्योंकि ऐसा कोई प्रमाण देखने में नहीं आता जो कि शिला में पिता पुत्र के भाव को सिद्ध करता हो।