सूत्र :यथा दुःखात्क्लेशः पुरुषस्य न तथा सुखा-दभिलाषः II6/6
सूत्र संख्या :6
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस प्रकार पुरूष को दुःखों से क्लेश होता है उसी प्रकार सुख से उसकी अभिलाषा नहीं होती अर्थात् सुखों से अभिलाषाओं का पूरा होना नहीं होता क्योंकि सुख भी प्रायः दुःखों से मिले हुए हैं।