सूत्र :न संज्ञासंज्ञिसम्बन्धोऽपि II5/96
सूत्र संख्या :96
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : संज्ञा संज्ञि का सम्बन्ध भी प्रत्यभिज्ञा में हेतु में हेतु नहीं हो सकता क्योंकि ये भी अर्थापत्ति से जाना जा सकता है कि संज्ञा-संज्ञि सम्बन्ध सब घड़ों में बराबर है परन्तु इतने पर भी अनेक घड़ों में अनेक भेद रहते हैं, इस कारण प्रत्यभिज्ञा नहीं हो सकती और संज्ञासंज्ञि सम्बन्ध होने पर भी दूसरा पदार्थ प्रत्यभिज्ञा का हेतु नहीं हो सकता, क्योंकि