सूत्र :नान्यनिवृत्तिरूपत्वं भावप्रतीतेः II5/93
सूत्र संख्या :93
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : सामान्य पदार्थों को अनत्य नहीं कह सकते हैं, क्योकि उनकी विद्यमानता दीखती है। आश्य यह है कि जब आचार्य प्रकृति और पुरूष के सिवाय सबको अनित्य मानते हैं तो प्रत्यभिज्ञा कैसे होगी? इस शंका को दूर करने के वास्ते यह सूत्र कहा गया है कि सामान्य पदार्थ किसी प्रकार अनित्य नहीं हो सकते हैं, क्योंकि वे भी दीखते हैं।