सूत्र :न तत्त्वान्तरं सादृश्यं प्रत्यक्षोपलब्धेः II5/94
सूत्र संख्या :94
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : एक घड़े के समान दूसरा घड़ा प्रत्यभिज्ञा का कारण नहीं हो सकता, क्योंकि यह बात तो प्रत्यक्ष ही से दीखती है कि जो घड़ा पहिले देखा था उसमें, और अब देखा है इसमें फर्क है इसलिए सदृश पदार्थ प्रत्यभिज्ञा का कारण नहीं हैं, इस कारण सामान्य पदार्थ और उनकी स्थिरता माननी पड़ेगी।
प्रश्न- जो शक्ति पहिले देखे हुए घड़े में है वही शक्ति इस समय दीखले हुए घड़े में है। उस शक्ति के ही प्रकाश होने से प्रत्यभिज्ञा क्यों न मानी जाय। क्योंकि सब घड़े एक ही शक्ति वाले होते हैं, इस वास्ते दूसरे घड़े के देखने से प्रत्यभिज्ञा को मानना ही चाहिये?