सूत्र :अनित्यत्वेऽपि स्थिरतायोगात्प्रत्य-भिज्ञानं सामान्यस्य II5/91
सूत्र संख्या :91
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यद्यपि प्रकृति और पुरूष के सिवाय जितनने समान्य पदार्थ हैं वे सब ही अनित्य हैं तथापि हम उनका स्थिर मानते हैं लेकिन क्षणिकवादियों के समान हर एक क्षण में परिवर्तंनशील नहीं मानते हैं इस वास्ते प्रत्यभिज्ञा हो सकती है।