DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :न निर्भागत्वं कार्यत्वात् II5/88
सूत्र संख्या :88

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जबकि अणु कार्य हैं तो कारण रहित कैसे हो सकते हैं? क्योंकि जो कार्य उसका कारण भी अवश्य ही कोई न कोई होगा। प्रश्न- जबकि प्रकृति और पुरूष दोनों ही आकार रहित हैं तो उनका प्रत्यक्ष कैसे हो सकता है, क्योंकि जब तक रूप न होगा तब तक प्रत्यक्ष नहीं हो सकता?

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