सूत्र :नाणुनित्यता तत्कार्यत्वश्रुतेः II5/87
सूत्र संख्या :87
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पृथ्वी आदि के अणुओं की नित्यता किसी प्रकार प्राप्त नहीं हो सकती, क्योंकि श्रुतियां उनको कार्य रूप कहती है और एक युक्ति भी है। जब पृथ्वी आदि साकार हैं तो उनके अणु भी साकार हो सकते हैं। जब साकारता प्राप्त हो गई तो किसी के कार्य भी जरूर हुए, इस कारण पृथ्वी आदि के अणुओं को नित्य नहीं कह सकते। यहां अणु का अर्थ परमाणु नहीं, उससे स्थूल है।
प्रश्न- आप अणुओं को नित्य नहीं मानते तो मत मानो, लेकिन उनका कोई कारण नहीं दीखता, इस वास्ते उनको कारण रहित मानना चाहिये?