DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :षोडशादिष्वप्येवम् II5/86
सूत्र संख्या :86

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : गौतमादिकों ने तो सोलह पदार्थ माने हैं और जिन-जिन महार्षियों ने पच्चीस पदार्थं माने हैं उनके जान लेने से भी मुक्ति नही हो सकतीं, क्योंकि पदार्थ तो असंख्य हैं। प्रश्न- वैशेषिकादि कों का मत क्यों दूषित माना गया है क्योंकि वह वैशधिकादिक पृथ्वी आदि के अणुओं को नित्य मानते हैं।

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