सूत्र :न मलिनचेतस्युपदे-शबीजप्ररोहोऽजवत् II4/29
सूत्र संख्या :29
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : रागादिकों से मलिन चित्त में उपदेश रूपी ज्ञान वृक्ष का बीज नहीं जमता। राजा अज के समान। राजा अज की इन्दुमती स्त्री थी, उस स्त्री से राजा का बड़ा भारी प्रेम था। कालवश होकर वह इन्दुमती मृत्यु को प्राप्त हो गई। राजा अज को उसके वियोग से बड़ा भारी दुःखी हुआ। उसका हृदय स्त्री के वियोग से परम मलीन हो गया था। वशिष्ठ जी ने उपदेश भी किया, लेकिन वियोग मलिन हृदय में उपदेश का अंकुर न जमा।