सूत्र :गुणयोगाद्बद्धः शुकवत् II4/26
सूत्र संख्या :26
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जब कामचारों रहेगा, तब उसके गुणों में किसी की प्रीति हो जाएगी, तो भी उस विवेकी को फिर बद्ध होना पड़ेगा। जैसे मनोहर भाषण आदि गुणों से तोते का बन्धन हो जाता है।