सूत्र :मध्ये रजोविशाला II3/50
सूत्र संख्या :50
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : और बीच में जो शरीर है वह रजोगुण प्रधान है। बीच का शरीर सामान्य मनुष्य का जन्म है और सब शरीर इसकी अपेक्षा ऊंचे हैं, या नीचे। सामान्य मनुष्य रजोगुणी होता है। सत्पुरूष सतोगुणी, पशु आदि तमोगुणी। इसके अन्दर भी भेद हैं।
प्रश्न- प्रकृति तो एक ही है, लेकिन सृष्टि अनेक तरह की क्यों होती है?