सूत्र :ऊर्ध्वं सत्त्वविशाला II3/48
सूत्र संख्या :48
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो सृष्टि ऊपर है, वह सत्य प्रधान है। यहां पर ऊपर कहने से आचार्य का प्रयोजन ज्ञान के मार्ग से उन्नति करने वालों से है अर्थात् सतोगुणी उन्नति करते हैं, क्योंकि सतोगुण प्रकाश करता है, इस कारण सतोगुणी अर्थात् शानी लोग सदा उन्नति करते हैं, इस कारण ऊपर जाते हैं।