सूत्र :बन्धो विपर्ययात् II3/24
सूत्र संख्या :24
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : विपर्यय नाम मिथ्याज्ञान का है मिथ्याज्ञान से ही सुख-दुख रूप बन्धन होता है। ज्ञान से मुक्ति और मिथ्याज्ञान से बन्धन होता है, इस विषय को तो कह चुके, अब मुक्ति का विचार किया जाता है।