सूत्र :भावनोपचयाच्छुद्धस्य सर्वं प्रकृतिवत् II3/29
सूत्र संख्या :29
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : प्राणायामादि कों से योगियों की भावना अर्थात् ध्यान अधिक होता है इस वास्ते सब पदार्थ सिद्ध हैं, उनमें प्रत्यक्ष कारण देखने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हम लोगों के समान योगियों के संकल्प झूठे नहीं होते, जैसे- प्रकृति बिना किसी का सहारा लिये महदादिकों को करती है, और उसमें प्रत्यक्ष कारण की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती, इसी कारण योगी का ज्ञान भी जानना चाहिये। पूर्वोंक्त सूत्रों से यह बात सिद्ध हो गई कि ज्ञान ही मोक्ष का साधन है। अब ज्ञान किस तरह होता है, इस बात को आगे के सूत्रों से प्रत्यक्ष करेंगे।