सूत्र :रागविरागयोर्योगः सृष्टिः II2/9
सूत्र संख्या :9
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिसमें राग और विराग इन तीनों का योग हो, उसे सृष्टि कहते हैं। इन दोनों का योग होना ही सृष्टि करने का निमित्त कारण है।
प्रश्न- सृष्टि प्रत्रिया किस तरह होती है?