सूत्र :वाक्छलमेवोपचारच्छलं तदविशेषात् II1/2/56
सूत्र संख्या :56
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : वाक् छल ही उपचार छल है क्योंकि इन दोनों में कोई विशेष गुणभेदोत्पादक नहीं है। वाक्छल में भी वक्ता के अभिप्राय के विरूद्ध शब्दों से परिणाम निकाला जाता है। ऐसा ही उपचार छल में वक्ता का अभिप्राय विपरीत ही निष्कर्ष प्रतिपादन कर धोखा देते हैं। इसका उत्तर महात्मा गौतम जी देते हैं।