सूत्र :मध्यन्दिनोल्काप्रकाशानुपलब्धिवत्तदनुपलब्धिः II3/1/39
सूत्र संख्या :39
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे दिन में सूर्य के प्रकाश से अभिभूत होकर तारे नहीं दीखते, या खद्योत नहीं चमकते, परन्तु उनका या उनके प्रकाश का अभाव नहीं माना जाता। ऐसे ही आंखों की रश्मि भी नहीं दीखती। इस पर वादी शंका करता हैः