सूत्र :अभिव्यक्तौ चाभिभवात् II3/1/42
सूत्र संख्या :42
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो पदार्थ अभिव्यक्त (उद्भूत रूप) होते हैं और वाह्य प्रकाश की अपेक्षा नहीं रखते, जैसे कि नक्षत्र और दीपादि, उन्ही का अभिभव (दब जाना) होता है तथा जो पदार्थ उद्भूत रूप तो नहीं होते किन्तु बाह्य प्रकाश की अपेक्षा रखते हैं, जैसे की घटपटादि स्थूल पदार्थ और चक्षुरश्मि आदि सूक्ष्म पदार्थ, इनका अभिभव नहीं होता जो कि आंख की रश्मि दीपादि के समान अभिव्यक्त नहीं, इसलिए उसका प्रत्यक्ष होता इस पर और भी हेतु देते हैं-