सूत्र :व्यक्त्याकृ-तिजातयस्तु पदार्थः II2/2/68
सूत्र संख्या :68
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : . व्यक्ति, आकृति और जाति ये तीनों मिलकर ही पद के अर्थ को प्रकाश करते हैं, अलग-अलग नहीं, यह बात दूसरी है कि इनमें कहीं व्यक्ति प्रधान हो, कहीं आकृति और कहीं जाति, वस्तु की सत्ता के प्रसंग में व्यक्ति, भेद के प्रसंग में आकृति और अभेद के प्रसंग में जाति प्रधान होगी। अब सूत्रकार व्यक्ति का लक्षण करते हैं:-