सूत्र :व्यक्त्याकृतियुक्तेऽप्यप्रसङ्गात्प्रोक्षणादीनां मृ-द्गवके जातिः II2/2/66
सूत्र संख्या :66
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मिट्टी की गाय में व्यक्ति और आकृति दोनों हैं परन्तु उसका दूध निकालो या उसे पानी पिलाओ यह कोई नहीं कहता। यदि केवल आकृति और व्यक्ति से पदार्थ का ग्रहण होता तो “गौ लाओ“ यह कहने पर कोई मिट्टी की गाय को भी ले जाता, परन्तु ऐसा नहीं होता इससे सिद्ध है कि केवल जाति ही पदार्थ है।
व्याख्या :
प्रश्न - यदि आकृति और व्यक्ति का जाति से कुछ सम्बन्ध न माना जावे तो गाय और गधे में भेद क्योंकर होगा ?
उत्तर - आकृति और व्यक्ति तो प्रत्येक भौतिक पदार्थ में रहती हैं, चाहे वह अश्व हो या वृक्ष। इसलिए आकृति और व्यक्ति से जाति का निर्णय नहीं होता, किन्तु लक्षण और धर्म से होता हैं, जिस पदार्थ में जिस जाति के लक्षण या धर्म पाये जावें, उसकी वही जाति है।
प्रश्न -लक्षण और गुण भी तो व्यक्ति और आकृति में ही रहेंगे।
उत्तर -यदि व्यक्ति और आकृति से लक्षणों का ज्ञान होता तो मिट्टी को गाय से सब काम चल जाते। क्योंकि गाय किसी व्यक्ति और आकृति तो उसमें भी है। अब आकृतिवादी कहता हैं:-